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Monday, July 14, 2025

रस (Ras) – काव्य की आत्मा



🎭 रस (Rasa) – काव्य की आत्मा 💖

'रस' का शाब्दिक अर्थ है 'आनंद' या 'स्वाद'। काव्य में रस का मतलब है किसी कविता, कहानी, नाटक या कला को पढ़ते, सुनते या देखते समय मिलने वाला सुख, आनंद या एक ख़ास तरह की अनुभूति।

भरत मुनि ने अपने 'नाट्यशास्त्र' में रस की सबसे पहली और प्रमाणिक परिभाषा दी है:

"विभावानुभावव्यभिचारिसंयोगाद् रसनिष्पत्तिः"

यानी, विभाव, अनुभाव और संचारी भावों के मिलने से रस बनता है।


रस के अंग (Elements of Rasa) 🧩

रस की उत्पत्ति के लिए चार मुख्य अंग होते हैं:

  1. स्थायी भाव (Permanent Emotion):

    • ये वे मूल और प्रधान भाव होते हैं जो इंसान के दिल में हमेशा छिपे रहते हैं और सही मौका मिलने पर जाग जाते हैं। हर रस का अपना एक स्थायी भाव होता है। ये मुख्य रूप से नौ प्रकार के माने गए हैं।

    • ट्रिक: "जो भाव अंदर सोया, जगाने पर ही दिखा।"

    • उदाहरण: रति (प्रेम), हास (हँसी), शोक (दुःख), क्रोध, उत्साह, भय, जुगुप्सा (घृणा), विस्मय (आश्चर्य), निर्वेद (शांत)।

  2. विभाव (Determinants / Causes):

    • वे कारण, चीज़ें या हालात जिनके कारण स्थायी भाव जागृत या तेज़ होते हैं

    • ये दो तरह के होते हैं:

      • आलंबन विभाव: जिसके कारण स्थायी भाव पैदा होता है (जैसे हीरो-हीरोइन, दुश्मन)।

      • उद्दीपन विभाव: जो स्थायी भाव को और ज़्यादा बढ़ाते हैं (जैसे चाँदनी रात, कोयल की आवाज़, डरावना मंज़र)।

    • ट्रिक: "जो भावों को जगाए या उभाए, वो विभाव कहलाए।"

  3. अनुभाव (Consequents / Effects):

    • स्थायी भाव जागने पर आश्रय (जिसके मन में भाव हैं) की शारीरिक हरकतें या बाहरी हाव-भाव जो उन भावों को दिखाते हैं। ये भावों के नतीजे होते हैं।

    • उदाहरण: मुस्कुराना, रोना, काँपना, पसीना आना, आँखें लाल होना, रोंगटे खड़े होना।

    • ट्रिक: "भाव जब जागते, तो शरीर बोल उठता।"

  4. संचारी/व्यभिचारी भाव (Transient / Complementary Emotions):

    • ये वे भाव हैं जो स्थायी भाव के साथ-साथ पानी के बुलबुलों की तरह बनते और मिटते रहते हैं। ये स्थायी भाव को और मज़बूत करते हैं और फिर ग़ायब हो जाते हैं। इनकी संख्या 33 मानी गई है।

    • उदाहरण: चिंता, खुशी, गर्व, शर्म, चंचलता, मोह, यादें, आवेग, ग्लानि (पछतावा), मद (नशा)।

    • ट्रिक: "आते-जाते बुलबुले, स्थायी को मजबूत करें ये अकेले।"


रसों के प्रकार (Types of Rasa) 🎭

भारतीय काव्यशास्त्र में मूल रूप से नौ रस (नवरस) माने गए हैं, बाद में दो और रस भी जोड़े गए:

क्रम

रस का नाम

स्थायी भाव

उदाहरण

स्पष्टीकरण

1

शृंगार रस

रति (प्रेम)

"मेरे तो गिरिधर गोपाल, दूसरो न कोई। जाके सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।"

प्रेम, सुंदरता, मिलन-जुदाई का वर्णन।

2

हास्य रस

हास (हँसी)

"बुरे समय को देखकर गंजे तू क्यों रोए। किसी भी हालत में तेरा बाल न बांका होए।"

अजब-गजब रूप, बोली या हरकतों से आने वाली हँसी।

3

करुण रस

शोक (दुःख)

"अबला जीवन हाय! तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँखों में पानी।"

किसी प्यारे के बिछड़ने या नुकसान से होने वाला दुःख।

4

रौद्र रस

क्रोध

"उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उनका लगा। मानो हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।"

अपमान, विरोध या अन्याय से होने वाला गुस्सा।

5

वीर रस

उत्साह

"बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।"

धर्म, युद्ध, दान आदि के लिए जोश और हिम्मत।

6

भयानक रस

भय (डर)

"उधर गरजती सिंधु लहरियाँ कुटिल काल-सीं जालों-सी। चली आ रही फेन उगलती फन फैलाए व्यालों-सी।"

डरावनी चीज़ या घटना से लगने वाला डर।

7

बीभत्स रस

जुगुप्सा (घृणा)

"सिर पर बैठ्यो काग, आँख दोउ खात निकारत। खींचत जीभहिं सियार, अतिहि आनंद उर धारत।"

घिनौनी चीज़ या नज़ारे को देखकर होने वाली घृणा।

8

अद्भुत रस

विस्मय (आश्चर्य)

"बिनु पद चलै सुनै बिनु काना। कर बिनु कर्म करै विधि नाना।"

अजीबोगरीब या अनोखी चीज़/घटना देखकर हैरानी।

9

शांत रस

निर्वेद (शम)

"मन रे परसि हरि के चरन। सुभग सीतल कमल कोमल, त्रिविध ज्वाला हरन।"

दुनिया की सच्चाई से वैराग्य और मन की परम शांति।

10

वात्सल्य रस

वत्सलता (स्नेह)

"मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो। भोर भयो भोरहिं गैया के पाछे।"

बच्चों (खासकर छोटे बच्चे) के लिए प्यार और दुलार।

11

भक्ति रस

भगवत् रति

"पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।"

भगवान के प्रति अटूट प्रेम और श्रद्धा।


रस का महत्व 🌟

रस ही कविता को ज़िंदा बनाता है। यह कवि की भावनाओं को पाठक तक पहुंचाने का ज़रिया है और पाठक को एक अनोखा भावनात्मक अनुभव देता है। रस के बिना कविता सिर्फ शब्दों का ढेर रह जाती है।


मुझे उम्मीद है कि यह जानकारी आपको 'रस' को समझने में और भी मदद करेगी! अगर आपके मन में कोई और सवाल है या आप किसी और विषय पर जानना चाहते हैं, तो ज़रूर पूछें।

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